Wednesday, January 26, 2011

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Friday, January 21, 2011

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सहेली को पति से चुदवाया

प्रेषिका : सोनिया सोनू
दोस्तो, मैं
आज जो बताने जा रही हूँ वो जान कर आपका मन भी सेक्स के लिये तड़प जायेगा।
मेरी शादी हो चुकी है। मेरे पति (अमित) मुझे बहुत प्यार करते है। फिर भी कभी कभी मन मचल जाता है कुछ नया करने के लिये। इस बार मन था अपने पति को कुछ नया दिखाने का। पर समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये।
अमित के आफ़िस चले जाने के बाद कुछ न कुछ सोचती रहती। अचानक एक विचार मन में आया कि क्यों न पतिदेव को कुछ सरप्राईज दिया जाए। बस मन इसी दिशा में काम करने लगा। वो कहते हैं ना कि जहाँ चाह वहाँ राह।

जल्दी ही मेरी मुलाकात एक नेट फ़्रेंड कनिका से हो गई जो मेरी तरह खुले विचारों की थी। हम मेल के द्वारा एक दूसरे से बात करने लगे, सेक्स को लेकर बातें होती। मैं अपने सेक्स के बारे में उसे बताती। मैंने महसूस किया वो शायद सेक्स के बारे में बात करते करते उत्तेजित हो जाती थी।
जैसे वो अकसर सेक्स के बारे में बात करते वक्त गरमी महसूस करती। मुझे लगा बात बन जायेगी।
एक दिन बातों बातों में पूछ लिया कि वो किस तरह का सेक्स पसंद करती है।
वो बोली- ऐसा सेक्स जिसमें सब कुछ भूल जाएं।
मैंने पूछा कि क्या वो मुझ से ट्रेंनिग लेना पसंद करेगी?
तो वो खुश हो कर बोली- क्यों नहीं।
मेरी योजना का पहला चरण पूरा हो चुका था।
हम योजना बनाने लगे कि कब मिलेंगे और क्या क्या करेंगे।
आखिर वो दिन आ गया। अमित कहीं काम से बाहर जाने वाले थे और देर रात तक वापिसी थी। मैंने कनिका को बताया कि मैं दो दिन अकेली हूँ।
कनिका शाम तक घर आ गई। उसके आते ही मैंने उसे गले लगा लिया और उसके गालों पर एक चुंबन जड़ दिया। मैंने देखा कनिका के गाल लाल हो गये थे पर वो शर्म के मारे कुछ ना बोली।
हम बैड पर बैठ कर बातें करने लगे। मैंने बात करते करते उसका हाथ पकड़ लिया। वो अचानक चुप हो गई और मेरी आखों में देखने लगी। मैंने देर न करते हुए उसके होठों को चूम लिया। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने होंठों को खोल दिया।
मैंने अपनी जुबान उसके मुँह में डाल दी और अंदर बाहर करने लगी।
वो मेरा पूरा साथ देने लगी। मेरी जुबान को जोर जोर से चूस कर सारा रस अंदर लेने लगी। हमारी सांसें एक दूसरे में समा रही थी। मैंने उसे चूमते हुए बैड पर लिटा दिया। उसके ऊपर आकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके दोनों होंठों को मुँह में ले कर अच्छी तरह चूसा।
मेरे पूरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी। अगले दो मिनट में हम दोनों के जिस्म नंगे थे। मैं उसके ऊपर आ गई और हमारे नंगे जिस्म एक दूसरे के साथ रगड़ खाने लगे। मैं फ़िर बेतहाशा उसके गुलाबी होंठों का मजा लेने लगी। मेरी योनि में से रस निकल कर उसकी योनि में समा रहा था। मेरे दोनों हाथ उसके मम्मों को तकरीबन कुचल रहे थे। फ़िर धीरे से मैंने अपना हाथ नीचे लिया और उसकी चूत पर रख दिया। उसकी चूत की पखुड़ियाँ हम दोनों के रस से भीग चुकी थी।
मैंने अपनी एक ऊंगली झटके से अंदर डाल दी। उसके मुँह से एक जबरदस्त आह निकली और उसने मेरे होठों को अपने मुँह में ले लिया। मैं अपनी ऊंगली से उसे चोदने लगी। उसने अपनी टांगें फ़ैला दी। पूरा रास्ता मिलने पर मैंने दो उंगलियाँ घुसा दीं। पांच मिनट तक चोदने के बाद मैंने वो भीगी हुई उंगलियाँ उसके मुँह में दे दी। वो अपना रस ऐसे चाट रही थी जैसे कब की प्यासी हो।
अब तक मेरी हालत खराब हो चुकी थी। मैंने अपना दायां मम्मा उसके मुँह में दे दिया। जैसे जैसे वो चूस रही थी मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही थी। मैंने उसकी टांगें खोल कर अपनी चूत को उसकी चूत के साथ रगड़ना शुरु कर दिया। उसकी आँख़ें बंद थी होंठ खुले। मेरे होंठ उसके होंठों के बिल्कुल ऊपर। अचानक मेरे खुले होंठों से रस उसके मुँह में लार की तरह गिरने लगा। उसने अपना मुँह पूरा खोल लिया और सारा रस पीने लगी। मैं एकदम से उठी और अपनी चूत उसके मुँह से टिका दी।

उसने मेरी चूत को चाटते हुए अपनी गर्म जुबान अंदर घुसा दी। मेरी चूत में जैसे आग लग गई। मैं आगे पीछे हो कर उसके मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगी। मेरे सिसकारियों से वो और जोश में आ गई और अपनी एक उंगली मेरे पीछे डाल दी। मैं अपने चरम तक पहुँचने वाली थी। मुझे लगा मेरा पेशाब निकल जाएगा। मैंने कनिका को यह बताया और उसे हटाने की कोशिश की।
पर वो बोली- आज तो जो निकला पी जाऊंगी।
सेक्स उसके सिर चढ़ कर बोल रहा था। मैंने भी अपनी टांगें खोल कर उसके मुँह पर टिका दी। एक गुदगुदी के साथ गरम पेशाब की धार सी निकली और धीरे धीरे कनिका के मुँह में समाने लगी। मैंने देखा वो गटागट मेरा पेशाब पी रही थी। मैं भी जैसे एक एक बूंद उसके मुँह में निचोड़ देना चाहती थी। मैंने देखा उसने एक बड़ा सा घूंट भर लिया और उठ कर बैठ गई। मैं समझ नहीं पाई कि वो क्या करना चाहती है।
मेरे कुछ सोचने से पहले उसने होंठ मेरे मुँह से लगा दिया और मुँह में भरा हुआ सब कुछ मेरे मुँह में डाल दिया। न चाहते हुए भी मैं अंदर गटक गई। कुछ कड़वा और नमकीन सा स्वाद था। पर सेक्स के नशे में सब अच्छा लगता है। एक जोरदार चुंबन के बाद फिर से उसने मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी। मेरे मुँह से निकल रही आहें उसका जोश बढ़ा रही थी। मेरे दाने पर उसकी फिसलती जीभ मुझे जन्नत की तरफ ले गई और मैं जोरदार आह के साथ झड़ गई।
मैं कुछ थक गई थी पर अभी उसकी बारी थी। मैंने पूरे जोश में उसे उल्टा बैड पर गिरा दिया और उसकी गोरी गोल गोल गांड सहलाने लगी।
वो बोली- सोनिया, काश कोई लड़का भी इस वक्त हमारे साथ होता तो वो गांड को चोदता और मैं तुम्हारी चूत चाटती।
मैंने मन ही मन सोचा- यही तो मैं भी चाहती हूँ। मैंने उसकी गांड पूरी खोल कर अपनी जीभ को उस पर रगड़ना शुरू कर दिया। कनिका की गांड से आ रही महक मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ एकदम से अंदर घुसा दी। वो अपनी गांड हिला हिला कर मेरा साथ देने लगी। कुछ देर चाटने के बाद मैंने उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और उसके दाने को चूसने लगी। उसकी चूत का रस मेरी उंगलियों और होठों पर लग रहा था।
इस सबके बीच हम दोनों को पता ही नहीं लगा कि खुले दरवाजे से मेरे अमित न जाने कब अदंर आ गए। वो अपना लंड निकाल कर हिला रहे थे।
मैं उन्हें देखकर मुस्कुराई और मुझे अपनी योजना कामयाब होती नजर आई। कनिका अभी भी आंखें बंद करके लेटी थी। मैंने इशारे से अपने पति को पास बुलाया और कनिका की गांड खोल कर आंख मारी। मेरे पति समझ गए और अपना गर्म लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया।
इससे पहले कनिका कुछ समझ पाती, लंड फिसलता हुआ उसकी गांड में घुस गया। कनिका चिहुंक उठी और घबरा कर पीछे देखने लगी।
मैं अभी भी मुस्कुरा रही थी। कनिका के मुँह पर असमंजस के भाव थे। मैं कनिका के पास लेट कर बोली- देख तेरी ख्वाहिश इतनी जल्दी पूरी हो गई।
और उसके होठों को अपने मुँह में ले लिया। मेरे हाथ उसके पूरे बदन पर चलने लगे।
एक दो मिनट की हिचकिचाहट के बाद वो सारा माजरा समझ गई और बोली- पहले बताती तो हम जीजू को साथ लिटा कर सेक्स करती।
मैंने बोला- अब कर ले।

मेरे इतना कहते ही वो सीधा लेट गई और अपनी दोनो टांगें फैला कर बोली- जीजू, आज मेरी चूत फाड़ दो, मैं आज पूरा मजा लेना चाहती हूँ।
अमित तो पहले ही तैयार थे, झट से अपने सारे कपड़े उतार डाले और अपना छ: इन्च का मोटा लंड मेरी प्यारी सहेली की चूत में डाल दिया। कनिका ने मुझसे ऊपर आकर अपनी चूत चटवाने को कहा। मैंने फिर से अपनी गुलाबी चूत उसके होठों पर टिका दी।
वो मजे ले कर चूस रही थी और अमित अपने लंड के जोरदार झटकों से उसकी चूत का कीमा बना रहे थे। मेरी चूत में फिर से गुदगुदी हो रही थी। कनिका ने अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी।
साथ साथ कनिका अपने दाने को रगड़ रही थी। करीब पंद्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद कनिका का पूरा शरीर जोर से कांपा और उसने अपने होंठ मेरी चूत से हटा लिये। उसके मुँह से निकल रही तेज सांसें बता रही थी कि वो झड़ गई थी। पर अमित अभी भी उसे चोद रहे थे। मैंने अमित को इशारे से रुकने को कहा और नीचे लेट गई। अब अमित मुझे चोद रहे थे और कनिका मेरे मम्मे चूस रही थी।
मैंने कनिका से पूछा कि क्या वो अपना रस मुझे नहीं पिलाएगी तो कनिका मेरे ऊपर अपनी चूत टिका कर घुटने के बल हो गई।
अब मैं कनिका की चूत और गांड पागलों की तरह चाट रही थी। उसकी चूत से निकल रहा गर्म रस मुझे मदहोश कर रहा था।
अचानक अमित बोले- मैं झड़ने वाला हूँ।
मैं और कनिका दोनों उठ कर उनके लंड के आगे बैठ गई। अमित हाथ से अपने लंड को हिलाते हुए चरम पर पहुंच रहे थे। एक दम वीर्य की मोटी पिचकारी सी छूटी और कनिका और मेरा मुँह उससे भीग गया। कमल एक एक बूंद निचोड़ रहे थे।

मैंने अमित का लंड हाथ में लिया और चूसने लगी। कनिका ने भी साथ देना शुरू किया और फिर मैंने और कनिका ने एक दूसरे को चूमा।
मैं अभी झड़ी नहीं थी। अमित के कहने पर मना कर दिया और उन दोनों से वादा लिया कि वो दोनों रात भर मुझे चोदेंगे।
दोस्तो, बाकी का किस्सा अगली बार। मेरा अनुभव कैसा लगा, बताना जरूर !

सखी रे सखी

यह कहानी दो सखियों की है। दोनों आपस में बहुत ही प्यार करती थी, यूं कहिये कि जान छिड़कती थी। ये दो सखियां है रीता शर्मा और कोमल सक्सेना। साथ साथ ही कॉलेज में पढ़ी, आपस में एक दूसरे की राजदार रही थी। रीता की शादी उसके ग्रेजुएट होते ही हो गई थी। दोनों ने पोस्ट ग्रेजुएट करने बाद एक प्राईवेट फ़र्म में नौकरी कर ली थी। पर रीता के पति राकेश को ये अच्छा नहीं लगा तो उसने नौकरी छोड़ दी थी।
उसकी किस्मत ने जैसे पल्टी खाई, राकेश को कुवैत में अच्छा काम मिल गया, वो जल्दी ही वहाँ चला गया। रीता ने कोमल को अपने साथ रहने के लिये बुला लिया। हालांकि कोमल अकेली रहना पसन्द करती थी, क्योंकि उसके विकास और उसके दोस्त समीर से शारीरिक सम्बन्ध थे। रीता को ये सब मालूम था पर उसने अपने प्यार का वास्ता दे कर कोमल को अपने घर में रहने के लिये राजी कर लिया।
रीता ने अपने घर में सामने वाला कमरा दे दिया। विकास और समीर ने कोमल को कमरा बदलने में बहुत सहायता की। पर शायद कोमल को नहीं पता था कि विकास और समीर की वासना भी नजरे रीता पर गड़ चुकी है। कोमल की ही तरह रीता भी दुबली पतली थी, तीखे मयन नक्शे वाली थी, बस शादी के बाद उसने साड़ी पहनना आरम्भ कर दिया था।
चुदाई का अनुभव कोमल को रीता से बहुत अधिक था, वो हर तरह से अपनी वासना शान्त करना जानती थी। इसके विपरीत रीता शादी के बाद कुंए के मेंढक की तरह हो गई थी। चुदाने के नाम पर पर बस वो अपना पेटीकोट ऊपर उठा कर राकेश का लण्ड ले लेती थी और दो चार धक्के खा कर, झड़ती या नहीं भी झड़ती, बस सो जाया करती थी। झड़ने का सुख रीता के नसीब में जैसे बहुत कम था। आज राकेश को कुवैत गये हुये लगभग दो साल हो गये थे, हां बीच बीच में वो यहा आकर अपना वीसा वगैरह का काम करता था और जल्दी ही वापस चला जाता था।
पर आज रीता को देख कर कोमल को बहुत खराब लगा। बर्तन धोना, कपड़े धोना, खाना बनाना ही उसका काम रह गया था।
आज वो नल पर कपड़े धो रही थी। उसने सिर्फ़ पेटीकोट और एक ढीला ढाला सा ब्लाऊज पहन रखा था। उसके दोनों चूंचियाँ ब्लाऊज में से हिलती जा रही थी और बाहर से स्पष्ट नजर आ रही थी। उसके अस्त व्यस्त कपड़े, उलझे हुये बाल देख कर कोमल को बहुत दुख हुआ। विकास तो अक्सर कहता था कि इस भरी जवानी में इसका यह हाल है तो आगे क्या होगा ... इसे सम्भालना होगा ... ।
फिर एक दिन कोमल ने देखा कि रीता अपने बिस्तर पर लेटी करवटें बदल रही थी। उसका एक हाथ चूत पर था और एक अपनी चूंचियों पर ... । शायद वो अपनी चूत घिस घिस कर पानी निकालना चाह रही थी। उसे देख कर कोमल का दिल भर आया। वो चुपचाप अपने कमरे में आ गई। फिर आगे भी उसने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में से देखा, रीता ने अपना पेटीकोट ऊपर उठा रखा था और अंगुली अपनी चूत में डाल कर हस्त मैथुन कर रही थी।
शाम को कोमल ने हिम्मत करके रीता को बहुत ही अपनेपन से कह दिया,"मेरी प्यारी सखी ... बोल री तुझे क्या दुख है?"
"मेरी कोमल, कुछ दिनों से मेरा मन, भटक रहा है ... और ये सब तेरे विकास का किया हुआ है !"
"नहीं रे, वो तो भोला भाला पंछी है ... मेरे जाल में उलझ कर फ़ड़फ़ड़ा रहा है ... वो कुछ नहीं कर सकता है ...!"
"सच है री सखी ... उसकी कामदेव सी निगाहों ने मुझे घायल कर दिया है ... उसका शरीर मुझे किसी काम देवता से कम नहीं लगता है ... मेरे तन में उसे देख कर अग्नि जल उठती है, तन मन राख हुआ जा रहा है !" रीता की आहों में वासना का पुट स्पष्ट उभर कर कर आ रहा था, स्वर में विनती थी।
"सखी रे सखी ... तुझे उसका काम देव जैसा लिंग चाहिये अथवा उसकी प्रीति की भी चाह है?" रीता की तड़प और आसक्ति देख उसका मन पिघल उठा।
"ना रे सखी ... तेरी दया नहीं ... उसका प्यार चाहिये ... दिल से प्यार ... हाय रे ...!" उसका अहम जाग उठा।
कोमल ने अपना तरीका बदला,"सखी ... तू उसे अपने जाल में चाहे जैसे फ़ंसा ले ... और तन की जलन पर शीतल जल डाल ले ... तब तक मुझे ही अपना विकास समझ ले !" कोमल के मन में रीता के लिये कोमल भावनाएँ उमड़ने लगी ... उसे समझ में आ गया कि ये बेचारी अपने छोटे से जहाँ में रहती है, पर कितनी देर तक तड़पती रहेगी।
रीता भी अपनापन और प्रीति पा कर भावना से अभिभूत हो गई और कोमल के तन से लता की तरह लिपट पड़ी, और कोमल के गुलाबी गालों पर मधुर चुम्बनो की वर्षा कर दी। कोमल ने उसकी भावनाओं को समझते हुए रीता के होंठ चूम लिये और चूमती ही गई। रीता के मन में कुछ कुछ होने लगा ... जैसे बाग की कलियाँ चटकने लग गई। उसकी चूंचियाँ कोमल की चूंचियों से टकरा उठी ... और मन में एक मीठी टीस उठने लगी। उसे अपनी जीवन की बगिया में जैसे बहार आने का अहसास होने लगा।

"कोमल, मेरे मन में जैसे कलियाँ खिल रही हैं ... मन में मधुर संगीत गूंज रहा है ... मेरे अंगो में मीठी सी गुदगुदी हो रही है ... ! " रीता के होंठो से गीलापन छलक उठा। कोमल के भी अधर भीग कर कंपकंपाने लगे। अधरों का रसपान होने लगा। जैसे अधरों का रसपान नहीं, शहद पी रहे हों। फिर जैसे दोनों होश में आने लगे। एक दूसरे से दोनों अलग हो गईं।
"हाय कोमल, मैं यह क्या करने लगी थी ... " रीता संकुचा उठी ... और शर्म से मुख छिपा लिया।
"रीता, निकल जाने दे मन की भावनाएँ ... मुझे पता है ... अब समय आ गया है तेरी प्यास बुझाने का !"
"सुन कोमल, मैंने तुझे और विकास को आपस में क्रीड़ा-लीन देखा ...तो मेरे मन विचलित हो गया था !" रीता ने अपनी मन की गांठें खोल दी।
"इसीलिये तू अपने कमरे में हस्तमैथुन कर रही थी ... अब सुन री सखी, शाम को नहा धो कर अपन दोनों आगे पीछे से अन्दर की पूरी सफ़ाई कर के कामदेव की पूजा करेंगे ... और मन की पवित्र भावनाएँ पूरी करेंगे ...! " कोमल ने एक दूसरे के जिस्म से खेलने का निमंत्रण दिया।
"मेरी कोमल ... मेरी प्यारी सखी ... मेरे मन को तुझ से अच्छा कौन जान सकता है? मेरा प्यारा विकास कब मुझे प्यार करेगा ? ... हाय रे !" रीता ने निमंत्रण स्वीकार करते हुये उसे प्यार कर लिया। मैने मोबाईल पर विकास को समझा दिया था ... कि उसके प्यारे लण्ड को रीता की प्यारी चूत मिलने वाली है।
संध्या का समय हो चला था। सूर्य देवता अपने घर की ओर जा रहे थे। कहीं कोने में छुपा अंधकार सारे जहां को निगलने का इन्तज़ार कर रहा था। शैतानी ताकतें अंधेरे की राह ताक रही थी। जैसे ही सूर्य देवता का कदम अपने घर में पड़ा और रोशनी गायब होने लगी, शैतान ने अपने आप को आज़ाद किया और सारे जहाँ को अपने शिकंजे में कसने लगा। सभी के मन में पाप उभर आये। एक वासना भरी पीड़ा उभरने लगी। कामदेव ने अपना जादू चलाया।
इन्सान के अन्दर का पागलपन उमड़ने लगा। सभी औरतें, लड़कियाँ भोग्य वस्तु लगने लगी। मासूम से दिखने वाले युवक, जवान लड़कियों को कामुक लगने लगे ... उनकी नजरें उनके बदन पर आकर ठहर गई। मर्दों का लिंग उन्हें कड़ा और खड़ा दिखने लगा। इधर ये दोनों सखियां भी इस सबसे अछूती नहीं रही। कोमल और रीता भी नहा धोकर, पूर्ण रूप से स्वच्छ हो कर आ गई।
दोनों जवानियाँ कामदेव का शिकार बन चुकी थी। दोनों की योनि जैसे आग उगल रही थी। शरीर जैसे काम की आग में सभी कुछ समेटने को आतुर था। कमरे को भली भांति से बंद कर दिया। दोनों ने अपनी बाहें फ़ैला दी ... कपड़े उतरने लगे ... चूंचियाँ कड़क उठी, स्तनाग्र कठोर हो कर इतराने लगे। कोमल नंगी हो कर बिस्तर पर दीवार के सहारे पांव लम्बे करके बैठ गई और नंगी रीता को उसने अपनी जांघों पर उल्टा लेटा लिया।

रीता के चूतड़ों को कोमल ने बिल्कुल अपने पेट से सटा लिया और उसके चूतड़ो को सहलाने लगी और थपथपाने लगी। रीता ने आनन्द के मारे अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपने प्यारे गोल गोल चूतड़ों की फ़ांकें खोल दी। कोमल रीता की गाण्ड को सहलाते हुये कभी उसके दरारों के बीच सुन्दर से भूरे रंग के फ़ूल को भी दबा देती थी। हल्के तमाचों से चूतड़ लाल हो गये थे ... थूक लगा लगा कर फ़ूल को मसलती भी जा रही थी।
"कोमल ... हाय अति सुन्दर, अति मोहक ... मेरे पति के साथ इतना सुख कभी नहीं मिला ... " रीता कसकती आवाज में बोली।
"अभी तो कुछ नहीं मेरी सखी, देख ये दुनिया बड़ी रसीली है ... मन को अभी तो जाने क्या क्या भायेगा ... " कोमल ने चूतड़ो के मध्य छेद पर गुदगुदी करते हुये कहा। कोमल की अंगुलियाँ उसके फ़ूल को दबाते हुये फ़क से भीतर घुस गई। रीता चिहुंक उठी। उसे एक नये अद्वितीय आनन्द की अनुभूति हुई। दूसरा हाथ उसके सुन्दर और रस भरे स्तनो पर था। उसके कठोर चूचुकों को मसल रहे थे। कोमल की अंगुलियां उसकी मुलायम गाण्ड में जादू का काम कर रही थी। उसकी चूत में एक आनन्द की लहर चलने लगी और वह जैसे मस्ती महसूस करने लगी। उसके चूतड़ों को दबाते हुये अंगुली छेद के अन्दर बाहर होने लगी।
रीता मस्ती के मारे सिसकने लगी। इस तरह उसके पति ने कभी नहीं किया था। उसके मुख से सिसकी निकल पड़ी।
"क्या कर रही है कोमल ... बहुत मजा आ रहा है ... हाय मैं तो गाण्ड से ही झड़ जाऊंगी देखना ... ।" उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी।
अब कोमल अंगुली निकाल कर उसकी गुलाबी चूत में रगड़ने लगी, उसका दाना अंगुलियो के बीच दब गया। रीता वासना की मीठी कसक से भर गई थी।
कोमल ने उसे चौपाया बन जाने को कहा। उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये, कोमल का उसके प्यारे गाण्ड के भूरे छेद पर दिल आ गया और उसकी जीभ लपलपाने लगी ... और कुछ देर में उसके छेद पर जीभ फ़िसल रही थी। सफ़ाई के कारण उसमें से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी ... उसके मस्त छेद को हाथों से खींच कर खोल लिया और जीभ अन्दर ठेल दी। खुशी के मारे रीता का रोम रोम नाच उठा।
तभी विकास का मिस-कॉल आ गया। कोमल समझ गई कि विकास दरवाजे के बाहर खड़ा है। उसने जल्दी से अपना गाऊन लपेटा और बैठक की तरफ़ चल दी।
"मेरी सखी, अपनी आखे बंद कर ले और सपने देखती रह, बाहर कौन है मैं देख कर आती हूँ" कोमल ने रीता से प्यार भरा आग्रह किया और बाहर बैठक में आ कर मुख्य दरवाजा खोल दिया। विकास तुरन्त अन्दर आ गया ... कोमल ने उसे तिरछी निगाहों से देखा।
"मेरी प्यारी सखी रीता चुदने के लिये तैयार है ... उसे कामदेव का ही इन्तज़ार है ... " कोमल ने वासना भरे स्वर में कहा।
"अरे ये कामदेव कौन है ... उसकी तो मै मां ... ।" विकास ने तैश में आ कर आंखे दिखाई।
"आप हैं ... जो कामदेव का रूप ले कर आये हो ... वो देखो ... उस बाला की प्यारी सी चूत और उभरे हुये चूतड़ो के गोल गोल प्याले ... तुम्हारे मोटे और लम्बे, प्यारे से लिंग राह देखते हुये अधीर हुए जा रहे हैं ... "
"ओये ... अधीर दी माँ दी फ़ुद्दी ... मैंने जी बहुत मुठ मारी है रीता जी के नाम की ... " विकास ने दूर से ही रीता ही हालत देख कर मचल उठा।
"अपने लण्ड को जरा और भड़कने दे ... चोदने में मजा आयेगा ... " कोमल ने हंसते हुये विकास को आंख मारी। कोमल ने विकास को अपनी बाहो में लिया और और उसके लण्ड को दबाने लगी।
"चल रे विकास तू उसे बाद में चोदना, पहले मेरी जवानी का मजा तो ले ले ... चल यही खड़े खड़े लौड़ा लगा कर चोद दे !" कोमल से उत्तेजना और नहीं सही जा रही थी। विकास को भी अपना लण्ड कहीं तो घुसेड़ना ही था।
"चल यार, पहले तेरी फ़ुद्दी मार लूँ, ओह्ह मेरा लण्ड भी तो देख कैसा पैन्ट को फ़ाड़ने पर तुला है !" कोमल ने उसका पैन्ट खोल दिया। उसने भी अपना गाऊन निकाल फ़ेंका। कोमल ने उसका गोरा लण्ड थाम लिया और मुठ मारते हुये विकास को चूमने लगी।
कोमल ने अपनी एक टांग उठा कर पास की कुर्सी पर रख दी और अपनी चूत खोल दी। विकास को समीप खींच कर उसका लौड़ा चूत से भिड़ा दिया। विकास ने अपने चूतड़ो का दबाव उसकी खुली चूत पर डाल दिया और उसका प्यारा लण्ड कोमल ने अपनी चूत में घुसा लिया। अब दोनों ही लिपट पड़े और अपने कमर को एक विशेष अन्दाज में हिलाने लगे, लण्ड ने चूत में घुस कर सुरसुरी करने लगा और उसका मजा दोनों उठाने लगे।उनके चूतड़ों का हिलना तेज हो गया और कोमल की चूत पनियाने लगी। वैसे ही वो रीता के साथ पहले ही उत्तेजना से भरी हुई थी। कोमल की आंखें मस्ती से बन्द होने लगी और अनन्त सुखमई चुदाई का आनन्द उठाने लगी। अब कोमल के मुख से रुक रुक कर सिसकारियाँ निकलने लगी थी और चूत को जोर जोर से विकास के लण्ड पर मारने लगी थी। फिर एक लम्बी आह भरते हुए उसने विकास के चूतड़ों को नोच डाला और कोमल का रज निकल पड़ा। अब उसकी टांगे कुर्सी पर से नीचे जमीन पर आ गई थी। कोमल विकास का लण्ड चूत में लिये झड़ रही थी। दोनों लिपटे हुए थे। पर विकास का लण्ड अभी तक उफ़न रहा था, उसे अब रीता चाहिये थी जिसके लिये कोमल ने उसे बुलाया था। कोमल अपनी चुदाई समाप्त करके अन्दर कमरे की ओर बढ़ गई।
कोमल और विकास रीता के पास जाकर खड़े हो गये। रीता वासना की दुनिया में खोई अभी तक ना जाने क्या सोच कर आंखे बंद किये सिसकारियाँ भरे जा रही थी। विकास ने ललचाई निगाहों से रीता के एक एक अंग का रस लिया और अपने हाथ कोमलता से उसके अंगों पर रख दिये। मर्द के हाथों का स्पर्श स्त्री को दुगना मजा देता है ... रीता को भी मर्द के स्पर्श का अनुभव हुआ और सिसकते हुये बोली,"कोमल, तेरे हाथो में मर्द जैसी खुशबू है ... मेरे अंगों को बस ऐसा ही मस्त मजा दे ... काश तेरे लिंग होता ... सखी रे सखी ... हाय !"
विकास ने उसकी चूत, गाण्ड और चूंचियां मस्ती से दबाई। उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। उसे अब बस चूत चाहिए थी ... ।
"तुझे सच्चा लण्ड चाहिए ना ... कामदेव को याद कर और महसूस कर कि तेरी चूत में कामदेव का लण्ड है ... " कोमल ने रीता को चूमते हुये विकास का रास्ता खोला।
"मुझे ! हाय रे सखी, कामदेव का नहीं उस प्यारे से विकास का मदमस्त लौड़ा चाहिये, मेरी इस कमीनी चूत की प्यास बुझाने के लिये !" उसकी कसकती आवाज उसके दिल का हाल कह रही थी। अपना नाम रीता के मुख से सुनते ही विकास के मुख पर कोमलता जाग उठी, चेहरे पर प्यार का भाव उभर आया। उसने भावना में बह कर अपनी आंखें बंद कर ली, जैसे रीता को सशरीर अपनी नयनों में कैद कर लिया हो। विकास ने एक आह भरते हुये रीता के उभरे हुये गोल गोल चूतड़ो पर प्यार से हाथ फ़ेरा और फिर नीचे झांक कर चूत को देखा और और अपने तन्नाये हुये लण्ड को प्यार से उसके चूत के द्वार पर रख दिया। लण्ड का मोहक स्पर्श पाते ही जैसे उसकी चूत ने अपना बड़ा सा मुँह खोल दिया और गीली चूत से दो बूंदे प्यार की टपक पड़ी। लण्ड ने चूत पर एक लम्बी रगड़ मारी और द्वार को खोल कर भीतर प्रवेश कर गया। रीता को जैसे एक झटका सा लगा उसने तुरंत आँखें खोल दी और अविश्विसनीय निगाहों से पीछे मुड़ कर देखा ...
अपनी चूत में विकास का लण्ड पा कर जैसे वो पागल सी हो गई। एक झटके से उसने उसका लण्ड बाहर निकाला और लपक कर उससे लिपट गई। दो प्यार के प्यासे दिल मिल गये ... जैसे उनकी दुनिया महक उठी ... जैसे मन मांगी मुराद मिल गई हो ... दोनों ही नंगे थे ... दोनों के शरीर आपस में रगड़ खा रहे थे, दोनों ही जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते थे। रीता को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही हो।
"मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ ना ... हाय रे विकास ... आप मुझे मिल गये ... अब छोड़ कर नहीं जाना ... " रीता भावना में बहती हुई कहने लगी।
"रीता जी, आप मुझे इताना प्यार करती हैं ... " विकास का मन भी उसके लिये तड़पता सा लगा।
"मेरे विकास, मेरे प्राण ... मेरे दिल के राजा ... बहुत तड़पाया है मुझे ... देख ये प्यासा मन ... ये मनभाता तन ... और ये अंग अंग ... राजा तेरे लिये ही है ... तेरा मन और तन, ये अंग मुझे दे दे ... हाय राम जी ... कोमल ... मेरी प्यारी सखी, तू तो मेरी जान बन गई है रे ... " रीता की तरसती हुई आवाज में जाने कैसी कसक थी, शायद एक प्यासे मन और तन की कसक थी। रीता को विकास ने प्यार से ने नीचे झुका कर अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया।
"रीता, मेरा लण्ड चूसो ... तुम्हारे प्यारे प्यारे अधरों का प्यार मांग रहा है !"
"मैने कभी नहीं चूसा है ... प्लीज नहीं ... "
"मीठी गोली की तरह चूस डालो ... मजा आयेगा !" कोमल ने भी विकास का लण्ड पकड़ कर रीता के मुँह में डालने की कोशिश की।
रीता ने कोमल का हाथ जल्दी से हटा दिया ... "कोमल तुम जाओ अब यहाँ से ... मत छूओ मेरे विकास को ... " रीता ने विकास का लण्ड अपने मुख में समा लिया और चूसने लगी। कोमल रीता की खुली हुई गाण्ड में अंगुली डाल कर उसे गुदगुदी करने लगी। रीता की परवान चढ़ी हुई वासना को जैसे एक सीढ़ी और मिल गई। वो अपने चूतड़ को हिला हिला कर मेरी अंगुली का मजा लेने लगी। यह सब आनन्द उसे पहली बार नसीब हो रहा था, सो वह बहुत ही उत्तेजित हो कर अपने कमनीय बदन का बेशर्मी से संचालन करने लगी थी। अब रीता ने लण्ड मुख से बाहर निकाल लिया और विकास से लिपट गई।
"राजा अब नहीं रहा जाता है ... हाय अब अन्दर घुसेड़ दो ना ... " रीता ने वासना भरी सीत्कार भरी।
दोनो ही आंखे बंद किये हुए एक दूसरे में समाने की कोशिश में लग गये ... कि रीता के मुख से आह निकल पड़ी। विकास के लण्ड ने अपनी राह ढूंढ ली थी। प्यासा लण्ड चूत में उतर चुका था। विकास रीता के ऊपर चढ़ चुका था, रीता के दोनों पांव विकास की कमर से लिपट कर जकड़ चुके थे। रीता की चूत अपने आप को ऊपर की उठा कर लण्ड को लील लेना चाह रही थी, और विकास के चूतड़ो का जोर रीता की नरम चूत पर दबाव डाल रहा था। दोनों ने अपना अपना काम पूरा कर लिया, लण्ड पूरा अन्दर जा चुका था और मीठी मीठी वासना की जलन से विकास का लण्ड रीता की चूत में रस भरी बूंदे भी टपकाता जा रहा था। रीता भी मनपसन्द लण्ड पा कर अपनी चूत का पानी बूंदो के रूप में निकालती जा रही थी।
कोमल ने इन दोनों को प्यार से देखा ... और रीता के चूतड़ों पर हल्के हल्के हाथों से मारने लगी। दोनों एक दूसरे के कोमल अंगो को अपने अन्दर समेटे हुये, प्यार से एक दूसरे को दे रहे थे, कस कस कर चूम रहे रहे थे, रीता के स्तन जैसे मस्त हो कर कुलांचे मार रहे थे, आगे पीछे डोलते जा रहे थे और विकास के हाथो में मसले जा रहे थे।
वो दोनो धीरे धीरे आपस में अपने चूत और लण्ड को आगे पीछे जैसे रगड़ रहे थे ... पीस रहे थे ... लण्ड चूत में पूरा घुसा हुआ जैसे गहराई में गर्भाशय के मुख को खोलने की कोशिश कर रहा हो। उसकी पूरी चूत में अन्दर तक मिठास भरी लहर चल रही थी। चूत जैसे लण्ड को अपनी दीवारों से लपेट रही थी और दोनों एक जैसे ना खत्म होने वाले आनन्द में डूब गये थे। दोनों की आंखे बंद थी और इस स्वर्गीय सुख के आनन्द में खोये हुये थे। अचानक विकास ने अपनी गाण्ड उठाई और चूत में लण्ड मारना आरम्भ आरम्भ कर दिया। रीता भी अपने प्यारे चूतड़ो को उछालने लगी और लण्ड को अपनी चूत में पूरा समेटने की कोशिश करने लगी। रीता से अब अपना यौवन सम्भाले नहीं सम्भल रहा था ... उसका अंग अंग मदहोशी से चूर हो रहा था।
विकास का लण्ड जैसे फूलता जा रहा था ... उसके जिस्म में कसावट आती जा रही थी। यौवन रस अब चूत द्वार से निकलना चाहता था ... रीता के जबड़े कस गये थे और वासना से उभर आये थे, दांत किटकिटाने लगे थे, चेहरा विकृत होने लगा था, उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अब वो एकाएक चीख उठी ... तड़प उठी ...
यौवन रस रिसता हुआ चूत से निकल पड़ा ... उसके जिस्म में लहरे उठने लगी ... रस ने जिस्म का साथ छोड़ दिया और चूत द्वार से बाहर चू पड़ा। जैसे जैसे उसका रस निकलता गया वो शांत होने लगी ...
पर विकास का लौड़ा अभी भी बड़ी ताकत के अन्दर बाहर आ जा रहा था ... उसे भी पता था कि अब उसका लण्ड पिचकारी छोड़ने वाला है। उसने अपना लण्ड चूत से बाहर निकाल लिया और हाथ में लेकर उसे जोर से दबा दिया। उसके मुख से जैसे गुर्राहट सी निकली और वीर्य ने एक तेज उछाल मारी।
कोमल से रहा नहीं गया ... और लण्ड की तरफ़ लपक पड़ी और इसके पहले कि दूसरा उछाल निकलता, विकास का लण्ड कोमल के मुख में था और बाकी का वीर्य कोमल के गले में उतरने लगा ...
रीता निढाल सी चित्त लेटी हुई थी और गहरी सांसें ले रही थी। अब रीता को कोई शिकवा नहीं था ... उसकी चूत चुद चुकी थी और उसे चोदने के लिये एक मोटा और लम्बा लण्ड मिल गया था ... जो उसे भी प्यार करने लगा था।
"विकास, रीता को तुमने इतने प्यार से चोदा ... इसके लिये मैं और रीता आपके बहुत आभारी हैं !" कोमल ने विकास का शुक्रिया अदा किया।
विकास हंस पड़ा,"आभारी ... हा हा हा ... क्या बात है कोमल ... बड़ी फ़ोर्मल हो गई हो ... " विकास की हंसी छूट पड़ी।
"रीता जी बहुत मस्त हो कर चुदाती हैं ... मेरा तो इन्होंने दिल ही चुरा लिया है !" विकास ने प्यार भरी नजरों से रीता को निहारा।
"चुप रहो जी ... तुम तो कोमल के दिल में रहते हो ... मुझे झांसा मत दो !" रीता ने बिस्तर से उठते हुये कहा।
"अरे नहीं रे पगली, ये तो मेरा दोस्त है बस ... ये तो मुझे चोदता है ... प्यार तो तू करती है ना ... बस अपना दिल तू विकास को दे दे और बदले में उसका दिल ले ले !" कोमल ने दोनों को अपना रुख स्पष्ट कर दिया। रीता और विकास ने एक दूजे को प्यार से देखा और फिर से एक दूसरे से लिपट पड़े और कस कर जकड़ लिया, होंठ से होंठ जुड़ गये, प्यार करने लगे ... जवानी की कसमें खाने लगे ... चांद तारे तोड़ कर लाने का वादा करने लगे ... संग जीने और मरने की कसमें खाने लगे ...
कोमल ने उनके मन की तरंगो को समझा व वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी ... ।

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